Tilismi Kahaniyan और तिलिस्मी राक्षस -एक अनोखी प्राचीन कहानी 2

 

Tilismi Kahaniyan राजकुमार और तिलिस्मी राक्षस -एक अनोखी प्राचीन कहानी 2



hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language,  hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,
 Tilismi Kahaniyan हेलो दोस्तों हाजिर है हम इस कहानी का दूसरा पार्ट लेकर पहले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे राघवेंद्र सुनैना से रहस्यमई हालात में मिलता है और सुनैना को आजाद कराने के लिए वह शैतान से भिड़ जाता है अब आगे - राजकुमार और तिलिस्मी राक्षस -एक अनोखी प्राचीन कहानी 2 बलदेव हा हा हा हा हा अब मेरी बारी बलदेव मैं हाथ ऊपर किया और एक जादुई तलवार उसके हाथ में आ गई तलवार से बलदेव ने राघवेंद्र पर हमला कर दिया बल-देव अब संभालो मेरे वार और वह ताबड़तोड़ राघवेंद्र पर वार करने लगा ! !लेकिन तलवारबाजी में माहिर राघवेंद्र ने भी उसके हर एक बार का जवाब दिया दोनों के बीच रात के दो प्रहर तक युद्ध चलता रहा 


kahaniyon ki Duniya लेकिन कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था राघवेंद्र थक कर चूर हो चुका था राघवेंद्र ने इस दौरान बलदेव की गर्दन धड़ पैर और हाथ 10 10 बार अपनी तलवार से अलग कर दिए थे !! लेकिन बलदेव का शरीर वापस वैसा का वैसा हो जाता था लेकिन राघवेंद्र के शरीर पर जो घाव थे वह किसी जादुई ताकत से नहीं भरने वाले थे बलदेव बहुत दम है तुझ में देखते हैं कितनी देर टिक पाओगे राघवेंद्र ताकत से ज्यादा हौसला मायने रखता है!! मेरा हौसला दुनिया की कोई ताकत नहीं तोड़ सकती !!

Tilismi Kahaniyan राघवेंद्र ने बलदेव पर वार किया और खुद नीचे गिर गया अब बलदेव ने अपनी तलवार राघवेंद्र के सर पर तान दी वह जैसे ही राघवेंद्र के सर पर वार करने को हुआ तभी 25 घुड़सवार हाथों में तीर कमान लिए वहां आते हैं और बलदेव पर तीर चला देते हैं !! एक साथ 25 तीर बलदेव के शरीर में घुस जाते हैं !!!!बलदेव पीछे मुड़कर देखता है घुड़सवार रुक नहीं रहे हैं उन्होंने लगातार तीरों से वार जारी रखा और बलदेव का शरीर पूरी तरह तीरों से भर गया वह लगातार तीर चला रहेे थे !! बलदेव ने मन ही मन सोचा रात्रि के दो प्रहर बीत चुके हैं इससेे ज्यादा मैं गुरुदेव को अचेत नहीं रख सकता मुझे इसी समय लौटना होगा इनसे मैं बाद में निपट लूंगा और बलदेव ने अपने शरीर से सारे तीर अपने हाथों से खींचकर निकाल दिए और उनकी की तरफ फेंके !! 
Kahaniyon Ki Duniya, Kahaniyon ki Dunia,hindi motivational stories, hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,Bewafai Part 2

Tilismi Kahaniyan और अपने उड़न वाले घोड़े पर बैठकर वहां से भाग गया तभी उनके सेनापति ने अपना एक बाज उसके पीछे छोड़ दिया बाज उसका पीछा करने लगा !! सुनैना भागकर राघवेंद्र के पास जाती है राघवेंद्र अचेत पड़ा है 


Tilismi kahaniyon सभी घुड़सवार और उनका नेता राघवेंद्र को आकर देखता है सैनिक सेनापति जी यह अभी जिंदा है सांसे चल रही है !!लेकिन तुरंत उपचार की आवश्य-कता है हमें तुरंत राजकुमार को अपने खेमे में ले जाना चाहिए !! वहां इनका उपचार संभव है !! लेकिन हमें देर नहीं करनी चाहिए इस अफरातफरी में बलदेव सुनैना को वापस कैद करना भूल गया था और सुनैना अब आजाद थी !! 

Tilismi Kahaniyanसुनैना राघवेंद्र को इस हालत में देखकर रोने लगी !! सैनिकों ने राघवेंद्र , सुनैना और मारुति को साथ लिया और अपने खेमे की तरफ लौट गए !! खेमे में पांच तंबू लगाए गए थे !! जिनमें से एक में राघवेंद्र और सुनैना सेनापति और धनवंतरी मौजूद थे जो राघवेंद्र के घाव पर जड़ी बूटियों का लेप लगा रहे थे राघवेंद्र अभी तक बेहोश है !! सेनापति धनवंतरी से धनवंतरी राजकुमार ठीक तो हो जाएंगे ना !!
hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language,  hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,

Tilismi Kahaniyan अगर राजकुमार को कुछ भी हो गया तो महाराज हमारी जान ले लेंगे !! धनवंतरी सेनापति जी राजकुमार के घाव बहुत गहरे हैं ,और यहां पर औषधियां भी मौजूद नहीं है!! राजकुमार को जल्द से जल्द जय गढ़ ले जाकर राजवेद को दिखाना होगा !! सेनापति सुबह होते ही हम जय गढ़ की तरफ रवाना होंगे तब तक तुम राजकुमार का ख्याल रखो धनवंतरी जो आज्ञा सेनापति जी !! सेनापति तंबू से बाहर निकलते हैं तभी सुनैना भी उनके पीछे आ जाती है वह सेनापति से सेनापति जी यह राघवेंद्र कौन है ?? सेनापति राजकुमार का नाम अदब से लो लड़की !! माफ कीजिए !! मुझे नहीं पता था कि यह राजकुमार है !!!!! सेनापति :- राजकुमार राघवेंद्र हमारे महाराज सुजॉय सिंह के बचपन के मित्र हैं !!और विजयगढ़ के युवराज हैं !! हम हमारे महाराज के आदेश पर राज-कुमार की सुरक्षा के लिए तैनात हैं !! 

Tilismi Kahaniyan लेकिन राजकुमार को इस बारे में पता नहीं है !! सुनैना वापस तंबू में आ जाती है और धनवंतरी की जड़ी बूटियां लगाने में मदद करने लगती है कुछ ही देर में सुबह हो जाती है और राजकुमार को थोड़ा होश आता है राघवेंद्र मैं कहां हूं तभी सुनैना कहती है हम अभी सुरक्षित हैं राघवेंद्र यह लोग कौन हैं ?? धनवंतरी :- हम महाराज सुजॉय के विश्वासपात्र सेवक है उन्होंने आपकी सुरक्षा के लिए आपको बिना बताए हमें आपके पीछे भेजा था अब आप आराम कीजिए हम जल्द ही जय गढ़ के लिए रवाना होंगे!! 

 Tilismi Kahaniyan कुछ ही देर में 26 घोड़ों का का अब काफिला जयगढ़ के लिए रवाना हो जाता है कुछ ही दूर जाने के बाद रास्ते में अचानक 200 सैनिकों की टुकड़ी राघवेंद्र और सैनिकों को घेर लेती है राधवेंद्र दो घोड़ों के बीच एक पालकी में लेटा हुआ है इसी पालकी में सुनैना बैठी है ! सेनापति कौन हो तुम लोग हमारा रास्ता छोड़ो उधर से आवाज आई उस लड़की को हमारे हवाले कर दो हम चले जाएंगे अन्यथा हम तुम सबको मार कर लड़की को ले जाएंगे !! सेनापति वह लड़की हमारी हिफाजत में है तुम उसका बाल भी बांका नहीं कर सकते सिपाहियों तीर कमान तैयार करो !!

 hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story 

books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language,  hindi motivational stories, a short story in hindi, hindi kahaniya, hindi kahani sahitya,stories in hindi language, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, 

kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan, stories for kids in hindi, hindi katha, hindi me kahaniya, hindi kahaani, hindi kahani book, hindi kahaniya, kahaniya hindi, short stories in hindi,hindi story books,kahaniya,hindi story,hindi kahaniyan,

सिपाही एक स्वर में जी सेनापति तीर कमान तैयार है आदेश करें !! हमला करो सेनापति चिल्लाया !! इससे पहले की सभी तीरंदाज तीरों से उन पर हमला करते उधर का हमला पहले हो जाता है !! सभी सिपाही ढाल का प्रयोग करो सेनापति चिल्लाया !!
Tilismi Kahaniyanसभी सैनिक ढाल के पीछे अपने आप को छुपाते हैं तभी सामने वाली सेना आकर उन को चारों तरफ से घेर लेती है !! अब राघवेंद्र और सारे सैनिक चारों ओर से गिरे हुए थे तभी राघवेंद्र को होश आता है पालकी से बाहर देखते ही वह सारा माजरा समझ जाता है !! वह अपने कमरबंद के अंदर हाथ ले जाकर कुछ निकालता है यह एक छोटी सी पोटली थी जिसमें एक छोटी सी रस्सी और एक खिलौने जैसी गदा थी राघवेंद्र पूरे जोर से चिल्लाया और फिर बेहोश हो गया !!


 Tilismi Kahaniyan "लिपट लाव दे रे हनुमान जी का घोटा" 

Tilismi Kahaniyan तभी अचानक उसकी पोटली में से एक मोटी रस्सी निकलती है जो हनुमान जी की पूंछ की तरह बढ़ती ही जा रही है और इस रस्सी ने विपक्षी सैनिकों को अपने अंदर जकड़ लिया जिस प्रकार हनुमान जी की गदा चलती थी एक गदा जादुई रूप से उन मोटे रस्सी में जकड़े हुए सिपाहियों पर बरस पड़ती है !! और कुछ ही पलों में सारे सिपाही ढेर हो जाते हैं 3 दिन बाद जय गढ़ के महल मैं राघवेंद्र को होश आया तो सुनैना और राघवेंद्र का मित्र सुजॉय सिंह उसके सामने मौजूद थे !! सुजॉय :- राघव मैंने तुमसे कहा था ना यहीं रहो !!लेकिन तुमने मेरी एक भी बात नहीं मानी अब मैं तुम्हें यहां से कहीं नहीं जाने दूंगा राघवेंद्र ने उठने की कोशिश की !! 

Tilismi Kahaniyanा सुनैना लेटे रहो अभी तुम्हारे जख्म पूरी तरह नहीं भरे हैं !! सुजॉय गुस्से में कभी मेरी बात नहीं मानता क्या जरूरत थी यहां वहां जाने की !! राघवेंद्र माफ कर दे मित्र तू सचमुच सही कहता था !! सुजॉय पता है तुम्हें इस हालत में देखकर में कितना घबरा गया था अब जाकर सांस में सांस आई है !! राघवेंद्र :- जिसका मित्र सुजॉय हो उसे कभी भी कुछ नहीं हो सकता !! तभी पास ही बैठे राज वेद ने कहा महाराज अब राजकुमार खतरे से बाहर है इनकी हालत जल्द ही सुधर जाएगी !! सुजॉय :- ईश्वर का लाख-लाख धन्यवाद राघवेंद्र अब तुम आराम करो !! तभी सुनैना राघवेंद्र को देखकर मुस्कुराती है राघवेंद्र ने भी मुस्कान का जवाब मुस्कान से दीया सुनैना:- बड़े ही रहस्यमई व्यक्ति हो तुम !! पर जो तुमने मेरे लिए किया है उसके लिए मैं तुम्हारा शुक्रिया किस तरह अदा करूं मुझे समझ नहीं आ रहा तुमने मेरी जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी ऐसा तुमने क्यों किया ?? राघवेंद्र मुझे सचमुच नहीं पता था कि तुम्हारा आशिक इतना खतरनाक है वरना मैं उसी वक्त भाग जाता !! और राजमहल का वह कक्ष राघवेंद्र और सुनैना की हंसी की आवाज से गूंज उठा !! अब यहां कोई नहीं आने वाला अब तो तुम मुझे अपनी कहानी बता सकते हो मुझे पता है कि तुम्हारी कहानी लंबी है लेकिन मेरे पास बहुत वक्त है !! तुम विजयगढ़ राजकुमार हो इतना तो मैं जानती हूं पर तुम यहां कैसे?? और तुम उस जंगल में क्या कर रहे थे ?? और यह लिपट लाओ गोटा क्या है ?? क्या तुम भी कोई जादूगर हो !! राघवेंद्र :- नहीं मैं कोई जादूगर नहीं हूं वह मेरे गुरु ने मुझे मेरी सेवा से खुश होकर उपहार स्वरूप मुझे दीया था जिसका प्रयोग मैंने जीवन में पहली बार किया है और अगर हम जिंदा हैं इसका मतलब गुरुदेव की भेंट काम करती है जैसा उन्होंने बताया था !! लेकिन बलदेव अब भी तुम्हारे पीछे है वह तुमसे क्या चाहता है ?? सुनैना वह मैं तुम्हें बाद में बताऊंगी पर पहले मुझे तुम्हारे बारे में जानना है कौन हो तुम और यहां क्या कर रहे हो ?? राजकुमार ने अपनी कहानी सुनाना प्रारंभ किया दोस्तों राजकुमार और रहस्यमई राक्षस की कहानी जारी रहेगी कौन है यह राजकुमार पूरी कहानी जानने के लिए इंतजार करें अगले अंक का और सब्सक्राइब करें

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ